Journal: शिक्षा संवाद (ISSN: 2348-5558)
Year: 2024 | Volume: 11 | Issue: 1 | Published on: 2024-07-01
लेखक: लाला राम बैरवा ‘अनुराग’
कूटशब्द: कविता
हिंदी के सम्मान शान का वक्त न जाए बीत
हिंदी का हित करें और जन-जन से जोड़ें प्रीत
हिंदी के बिन भक्ति-भाव, अनुराग अधूरा
आओ, मिल-जुल करें देश का सपना पूरा
और सब तरह हार, एक हिंदी में सबकी जीत
हिंदी का हित करें और जन-जन से जोड़ें प्रीत
हिंदी में बोलें बच्चों से दादी-नानी
हिंदी में रानी-परियों की कहें कहानी
हिंदी में लिख पाती भेजे आज मीत को मीत
हिंदी का हित करें और जन-जन से जोड़ें प्रीत
सब देशों के लोग बोलते अपनी भाषा
हम उधार के बोल बोलते, अजब तमाशा
अपना अमृत छोड़, पराया नीर पान की रीत
हिंदी का हित करें और जन-जन से जोड़ें प्रीत
हिंदी, जैसे भाषा की दुनिया का आसव
हिंदी, जैसे अमराई में मीठा कलरव
हिंदी, जैसे शंखनाद, हिंदी झरनों का गीत
हिंदी का हित करें और जन-जन से जोड़ें प्रीत
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