Journal: शिक्षा संवाद (ISSN: 2348-5558)
Year: 2024 | Volume: 11 | Issue: 1 | Published on: 2024-07-01
लेखक: कमल
कूटशब्द: आलेख, विद्यालय, समाज, अनुभव, दलित, शिक्षा, समावेशन
विद्यालय एक सामाजिक संस्था है, अतएव उस समाज की सामाजिक मान्यताएँ एवं व्यवहार उस विद्यालय की प्रत्येक गतिविधि में परिलक्षित होते हैं। भारतीय समाज की जातीय व्यवस्था एवं इससे जुड व्यवहार विद्यालय के प्रांगण में स्पष्टतः दृष्टिगोचर हाते हैं। उपरोक्त विद्यालयी अनुभवों के माध्यम से यह समझा जा सकता है कि विद्यालय एवं इसकी प्रत्येक गतिविधि दलितों के समावेशन के विरूद्ध है। विद्यालयी जीवन दलितों के अन्तरमन में एक ऐसी हीन भावना को पोषित करता है जो जीवन भर उसे मानसिक रूप से स्वयं में हीन बनाए रखती है। कक्षा में चुपचाप पीछे वाले बेंच पर जाकर बैठना उसके द्वारा उन अवमाननाओं को आत्मसात करने का उदाहरण है।
कूटशब्द : विद्यालय, समाज, अनुभव, दलित, शिक्षा, समावेशन।
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